कैलेंडर के प्रकार और उनके उपयोग

भारत में कितने प्रकार के कैलेंडर चल रहे हैं और सही कैलेंडर कौन सा माने?

भारत में कितने प्रकार के कैलेंडर चल रहे हैं और सही कैलेंडर कौन सा माने?

भारत एक विविधताओं से भरा देश है — यहां की भाषाएं, संस्कृति, परंपराएं और त्यौहार जितने विविध हैं, उतने ही विविध हैं यहां उपयोग में लिए जाने वाले कैलेंडर। एक ओर जहां ग्रेगोरियन कैलेंडर सरकारी और वैश्विक मानक बन चुका है, वहीं दूसरी ओर भारत में हिंदू, इस्लामिक, पारसी, बौद्ध, जैन और क्षेत्रीय सौर कैलेंडर भी प्रचलित हैं।

भारत में प्रचलित प्रमुख कैलेंडर

1. ग्रेगोरियन कैलेंडर (Gregorian Calendar)

  • यह अंतरराष्ट्रीय मानक कैलेंडर है।
  • ईसा मसीह के जन्म को आधार मानकर गणना की जाती है।
  • वर्ष में 365 दिन होते हैं; हर चौथा वर्ष लीप ईयर (366 दिन)।
  • सरकारी दस्तावेज़, बैंकिंग, परीक्षा आदि में प्रयोग होता है।

2. विक्रम संवत (Vikram Samvat)

  • 57 ईसा पूर्व में राजा विक्रमादित्य द्वारा शुरू किया गया।
  • चंद्र-सौर प्रणाली पर आधारित।
  • उत्तर भारत, राजस्थान, गुजरात आदि में प्रमुख।
  • ग्रेगोरियन कैलेंडर से लगभग 57 साल आगे।

3. शक संवत (Shaka Samvat)

  • भारत सरकार द्वारा 1957 से राष्ट्रीय कैलेंडर के रूप में मान्यता प्राप्त।
  • यह भी चंद्र-सौर प्रणाली पर आधारित है।
  • सरकारी गजट, डाक टिकट, रेलवे टिकट में उपयोग।

4. इस्लामिक कैलेंडर (Hijri Calendar)

  • पूरी तरह चंद्रमा पर आधारित।
  • हिजरत (622 ई.) से गणना शुरू होती है।
  • वर्ष में 354 दिन होते हैं।
  • रमजान, ईद, मुहर्रम आदि इसके अनुसार मनाए जाते हैं।

5. बौद्ध कैलेंडर

  • भगवान बुद्ध के निर्वाण को आधार बनाकर बनाया गया।
  • थाईलैंड, श्रीलंका, म्यांमार में प्रमुख।
  • भारत में बौद्ध अनुयायी बुद्ध पूर्णिमा जैसे पर्व इस पंचांग से मनाते हैं।

6. जैन कैलेंडर

  • विक्रम संवत पर आधारित, लेकिन जैन परंपरा के अनुसार संशोधित।
  • महावीर जयंती, पर्युषण पर्व आदि इसी कैलेंडर से तय होते हैं।

7. क्षेत्रीय सौर कैलेंडर

  • तमिल कैलेंडर (चिथिरई से शुरू), मलयालम कैलेंडर (कोल्लवर्षम), बंगाली कैलेंडर (पोहेला बोइशाख), तेलुगु पंचांग
  • प्रमुख रूप से धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों में प्रयोग।

कैलेंडरों में अंतर क्यों?

1. गणना का आधार अलग-अलग

कुछ कैलेंडर चंद्र आधारित (इस्लामिक), कुछ सूर्य आधारित (तमिल), और कुछ लूनी-सोलर (विक्रम/शक) होते हैं।

2. धार्मिक और सांस्कृतिक मान्यताएं

हर समुदाय ने अपने धार्मिक उत्सवों और परंपराओं के अनुसार कैलेंडर विकसित किए हैं।

3. भौगोलिक और क्षेत्रीय विविधता

हर राज्य और क्षेत्र की अपनी संस्कृति है, इसलिए स्थानीय पंचांग प्रचलन में हैं।

तो सही कैलेंडर कौन सा है?

1. सरकारी कार्यों के लिए: ग्रेगोरियन कैलेंडर

सरकारी दस्तावेज़, बैंक, परीक्षा, स्कूल, पासपोर्ट आदि सब ग्रेगोरियन कैलेंडर पर चलते हैं।

2. धार्मिक उपयोग के लिए: धार्मिक पंचांग

  • हिंदुओं के लिए विक्रम/शक संवत।
  • मुस्लिमों के लिए हिजरी कैलेंडर।
  • जैन, बौद्ध, पारसी समुदाय अपने-अपने पंचांग उपयोग करते हैं।

3. सांस्कृतिक उपयोग: क्षेत्रीय पंचांग

जैसे तमिलनाडु में पोंगल, बंगाल में दुर्गा पूजा, केरल में ओणम — सब स्थानीय पंचांगों पर आधारित हैं।

निष्कर्ष: हर कैलेंडर अपने स्थान, समय और उपयोग के अनुसार “सही” है।

भारत सरकार द्वारा समर्थित कैलेंडर

भारत सरकार ने शक संवत को आधिकारिक भारतीय कैलेंडर के रूप में स्वीकार किया है, लेकिन व्यवहार में ग्रेगोरियन कैलेंडर ही सबसे अधिक प्रचलित है।

निष्कर्ष

भारत में प्रचलित कैलेंडरों की विविधता हमारी सांस्कृतिक संपदा है। यह विविधता दर्शाती है कि समय मापने के भी कई तरीके हो सकते हैं। हमें आवश्यकता के अनुसार उपयुक्त कैलेंडर का चयन करना चाहिए — यही विवेकपूर्ण और व्यावहारिक समाधान है।

लेखक: Keep Information User |© 2025 हमेशा आपके साथ

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